आ जाओ मन मोहन प्यारे
आ जाओ मन मोहन प्यारे आ जाओ मन मोहन प्यारे। बाट जोहते नयन हमारे। ब्रज की भूमि करती क्रंदन। दानवता का हो रहा नर्तन। धर्म ,प्रेम की नाव डूब गई, मानवता का हो रहा मर्दन। तुम बिन कौन धराएं धीर, मात्र तुम ही हो एक सहारे। आ जाओ मन मोहन प्यारे। डोल रहा सत्य का आसन। जंघा खोलें बैठा दुर्योधन। दिनदहाड़े लूट रही द्रोपदी, चीर खींचता नित दुशासन। शपथ तुम्हें है कच्चे सूत की, आ जाओ अब तारण हारे। आ जाओ मन मोहन प्यारे। नर पशुता से सब गइया रोए। धरती मां भी पाप को ढोए। मानव उर है घट एक विष का, इसमें कौन प्रेम को बोए। रोप दो अंकुर प्रेम का आकर, हम सब इस कटुता से हारे। आ जाओ मन मोहन प्यारे। मित्र मित्र से घात लगाए। मांतू पिता भी स्वार्थ सजाएं। रक्षक भक्षक बन कर घूमे, कौन भला अब मार्ग दिखाएं। एक नया सूरज बन आओ, तुम्हें जगत का तमस पुकारे। आ जाओ मन मोहन प्यारे। कामिनी मिश्रा बीघापुर उन्नाव उत्तर प्रदेश 9695242037