रक्षाबंधन पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

 रक्षाबंधन पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न 


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संवाद सूत्र-देवरिया(डा0पंकज-प्राणेश)-

साहित्य शक्ति संस्थान के बैनर तले रक्षावंधन पर्व पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन दिनांक 26-08-2021 और दिनांक 27-08-2021 को सम्पन्न हुआ।यह कार्यक्रम अनलाइन गूगल मीट पर आयोजित था।इस कार्यक्रम मे पूरे भारत से लगभग चालीस रचनाकारो ने काव्यपाठ किया।दोनो ही दिन कार्यक्रम शाम चार बजे से प्रारम्भ होकर देर रात लगभग आठ बजे तक चला।गूगल मीट पर चलने वाले इस कार्यक्रम की सराहना स्रोताओ और कवियो ने खूब की।कार्यक्रम का शुभारंभ औरंगाबाद की शिक्षिका व कवयित्री डा0 क्षमा शुक्ला जी ने सुमधुर स्वर मे वाणी वंदना करते हुए " हृदय तल को पावन पुनीत निर्मल कर दो,निज लेखनी में रंग अंब अटल भर दो" सुनाकर कार्यक्रम को गति प्रदान की।अनूपपुर मध्य प्रदेश की वरिष्ठ कवयित्री रजनी उपाध्याय ने अपने मधुर स्वर मे अभिनंदन गीत पढ़कर सभी स्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दी।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भाषा शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान कटक-ओडिसा के अध्यक्ष प्रोफेसर सत्यनारायण पांडा ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है,कविगण जो देखते है,महसूस करते है उन्हे ही शब्दों मे बांधकर लोक,समाज और राष्ट्र को सौप देते है।साहित्य मनुष्य के अंदर प्रेम,संवेदना,संस्कार और इन्सानियत का भाव भरकर जीने की प्रेरणा देता है।इन्होनें अपनी रक्षाबंधन पर आधारित रचना के माध्यम से समाज को स्त्री रक्षा का संदेश भी दिए।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य व संस्थान के राष्ट्रीय संरक्षक वरिष्ठ गीतकार वीरेन्द्र मिश्र विरही ने सभी उपस्थित रचनाकारो को आशीर्वाद देते हुए अपने चिरपरचित अंदाज में अपने गीत "कवि का दिल एक समंदर है,सब भाव हृदय के  अंदर है।" सुनाकर मंच को बहुत बड़ा बना दिए।हरदोई-उत्तर प्रदेश से पधारे युवा कवि व शिक्षक पंकज त्रिपाठी 'कौतेय' ने साहित्य शास्त्र के अनुसार कविता के मर्म पर आधारित पंञ्चामर छंद "तुषार का सुताज है, महीप द्वीप हो रहा।सुभारती विचार का,प्रदीप दीप हो रहा।" सुनाकर साहित्य के वास्तविक स्वरूप से स्रोताओ का परिचय कराये।

प्रथम दिन के कार्यक्रम की केन्द्र बिन्दु रही कार्यक्रम की मुख्य अतिथि खण्ड विकास अधिकारी बरहज-देवरिया शशि पाण्डेय 'बिट्टो' जी।इन्होने अपने कोकिल कण्ठ से एक से बढ़कर एक गीतों को सुनाकर आनंद की सरिता बहा दी।"सोचेली बइठल कबूतरी क माई" तथा रक्षावंधन विशेष पर आधारित संवेदनशील गीतों को पढ़ने के साथ-साथ साहित्य शक्ति संस्थान के इस सदप्रयास की भी खूब सराहना की।कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी आरा व वरिष्ठ रचनाकार डा0किशोर आनंद जी की नपी-तुली,शिष्ट शैली मे पढ़ी गयी रक्षावंधन शीर्षक कविता ने स्रोताओ को सोचने पर मजबूर कर दी।कार्यक्रम की सम्मानित अतिथि व थरथरी-नालंदा की प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सुमिता जी ने तो रक्षावंधन कविता के सहारे ससुराल से मायके लौटी बेटियो के वास्तविक जीवन का चित्रण अभिनव शैली मे करके खूब वाहवाही लूटी।अयोध्या की कवयित्री व शिक्षिका अर्चना द्विवेदी की गीत विधा की रचना "प्रेम की राह मे आज हम तुम मिले " की सराहना सभी ने की।गोरखपुर की शिक्षिका कवयित्री व संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष नीरजा बसंती ने श्रृंगार रस प्रधान गजल "अगर है प्यार तो फिर बचा लीजिए,अपने दामन मे मुझको छुपा लीजिए।" प्रस्तुत कर शमा बाँध दी।मुरादाबाद की शिक्षिका व कवयित्री दीप्ति खुराना ने अपनी रचना मे माता पिता की महिमा का गुणगान करते हुए "माँ धरती की तरह गोद में बैठाती है,पिता आसमान की तरह छत बन जाते हैं।"सुनाकर समाज मे एक आदर्श दृष्टान्त प्रस्तुत की।

                  संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव व रोहतक बिहार की कवयित्री बबली कुमारी के रक्षाबंधन पर प्रस्तुत दोहे तथा कन्नौज की वरिष्ठ कवयित्री अर्चना मिश्रा के भक्ति रस प्रधान रचना प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।सोनभद्र की कवयित्री अलका केशरी की रचना "बेबस है अपनो से हीं आख़िर,क्यों इतना इंसान भला,क्यों बेगानों से बन जाते हैं,अपने हीं सन्तान भला।" सुनाकर युवा पीढ़ी व आज के परिवेश को बखूबी रेखांकित की।चित्रकूट की शिक्षिका व कवयित्री वंदना यादव तथा दिल्ली की शिक्षिका व कवयित्री सरिता प्रजापति ने अपने गीतों को सुनाकर पटल पर खूब रस वर्षा की।संस्थान की राष्ट्रीय संचालिका व उन्नाव की शिक्षिका कवयित्री कामिनी मिश्रा तथा जयपुर-राजस्थान की वरिष्ठ कवयित्री वीनू शर्मा जी की संदेश देती रचनाओं ने स्रोताओ की खूब तालियाँ बटोरी।हैदराबाद निवासी रसराज श्रृंगार की कवयित्री मोहिनी गुप्ता तथा मथुरा की शिक्षिका व कवयित्री चारू मित्तल की रचनाएँ स्रोताओ को खूब पसंद आयी।फतेहपुर के युवा कवि व शिक्षक आशुतोष कुमार तथा चित्रकूट के युवा कवि व शिक्षक अशोक प्रियदर्शी की अत्यंत शालीन रचनाएँ सुनकर एक बार फिर विश्वास जगा कि हिन्दी कविता का भविष्य उज्ज्वल है।

द्वितीय दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रचनाकार बृन्दावन राय 'सरल' की  दोहा छंद की रचना तथा वाराणसी की कवयित्री मणीबेन द्विवेदी की कजरी गीतों ने स्रोताओ को आह!और वाह!करने पर मजबूर कर दी।कानपुर की वरिष्ठ कवयित्री सुनीता द्विवेदी तथा तथा पुणे-महाराष्ट्र की शिक्षिका व कवयित्री शीतल श्रीकांत पाढारे की रचनाओं ने स्रोताओ का दिल छू लिया।फतेहपुर की शिक्षिका व कवयित्री सीमा मिश्रा तथा संतकबीर नगर की शिक्षिका व कवयित्री अनुपम चतुर्वेदी की रचनाएँ भाषा,भाव और अर्थ की दृष्टि से अत्यंत उच्च कोटि की रही।मऊ-उत्तर प्रदेश की शिक्षिका व कवयित्री गुन्जा गुप्ता 'गुनगुन' तथा मुजफ्फरपुर की शिक्षिका व कवयित्री डा0 सोनी ने अपने गीतों को सुनाकर नवरस की धारा बहा दी।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से महिमा तिवारी देवरिया, डा0 शीला चतुर्वेदी देवरिया,शालिनी सिंह देवरिया,डा0समराना फैयाज बरेली,अंजनी द्विवेदी देवरिया, सुनीता सिह 'सरोवर' देवरिया, सुमन लता जी मेरठ,नीलोफर नीरू जी देहरादून,डिम्पल तिवारी अयोध्या,लता नायर सरगुजा, आकाँक्षा रूपा कटक और कवयित्री ईशिता ने अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़कर कार्यक्रम मे रस भर दी।दोनो दिन के इस विशेष राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का सफल और विद्वतापूर्ण पूर्ण संचालन गोरखपुर की शिक्षिका व कवयित्री डा0विनीता मिश्रा ने की।कार्यक्रम का सफल आयोजन हेतु प्राण पग से लगकर कार्यक्रम को ऊचाई देने वाली डा0जानकी झा कटक ओडिसा का प्रयास सबसे अधिक रहा।संस्थान आपके इस सद्प्रयास का वंदन करता है।

सभी रचनाकारो की रचनाओं की समीक्षा और आभार प्रदर्शन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0पंकज-प्राणेश द्वारा की गयी।कार्यक्रम के अंत मे संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष नीरजा वसंती और प्रदेश सचिव पंकज त्रिपाठी कौतेय ने बताया कि आगामी सप्ताह मे एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित कर सभी प्रतिभागी रचनाकारो को सम्मानित किया जाएगा।

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