शीर्षक त्यौहार

 शीर्षक त्यौहार


रिश्तो का ये त्यौहार लाता खुशियाँ अपार                    हर त्यौहार में एक नई मिठास  जहाँ पराये भी हो जाते अपने जहाँ गिले-शिकवे भी हो जाते दूर, सबको एक कर एकता सूत्र में बांध जाता यह रिश्तो का त्यौहार ।                          प्रदेश में बैठे भैय्या को ना कभी याद आई यह त्यौहार ही हैं जो सबको पास बुलाई ।        रूखी सूखी रोटी खाकर निकलते सब रोजमर्रा के काम में ये त्यौहार ही तो है जो मीठे-मीठे पकवानों की याद दिलावाई ।                             मीठी-मीठी गुजिया, मठरी,दही के बड़ो से होती है   दिन की शुरूआत ।                  अरे त्यौहार ही तो है बच्चे, बूढ़े, जहाँ होते सब एक साथ।  कितने दिनों, महीनों से घर की चीजों में अस्त व्यसत रहती हमारी घर की महिलाऐं ।           कहाँ कभी अपनें ऊपर ये ध्यान दे पाती है ।                       एक त्यौहार ही तो है जब हमारी घर की महिलाऐं व्यसत रहने के साथ-साथ अपने ऊपर भी ध्यान दे पातीं है।        माँ, बहन,दादी, बहन,चाची, पत्नियां भी खूब सजती संवरती, निखरती है,इठलाती हैं, बलखाती हैं हंसती हैं  मुस्कुराती है, एक त्यौहार ही तो है जो उनका मान बढ़ाता है,।निर्मला सिन्हा डोंगरगढ़ छत्

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