कृष्ण कन्हैया

 कृष्ण कन्हैया



किस रूप का वर्णन करूं तेरे

तेरा तो हर रूप अनूप।

पंकज पग रुनझुन पैजनिया

कटि बीच शोभे करधनिया।

कोमल हस्त ते वेणु शोभे

मन्द मुस्कान मन मोहे।

मोर मुकुट घुंघराले लट

चूमत चंचल दृग पट।

करूं न्योछावर तिहू लोक

इस मनभावन छवि पर।

माखन मिश्री तोहे भावे

यमुना तीर तू चीर चुरावे।

मार कंकरिया फोरे गागर

तेरी कृपा से तरे जन भवसागर।

जग को दे नव रीत ज्ञान

किया सखा का ऐसा सम्मान।

लाज बचाई द्रुपद-सुता की

रण में दिया पार्थ को ज्ञान।

कृष्ण-कन्हैया मोहन, श्याम

मुरली वाले तेरे हजारों नाम।


स्वरचित v सर्वाधिकार सुरक्षित

शालिनी सिंह

गौरी बाजार देवरिया

7570856450

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