शीर्षक - आओ कुछ ऐसा करें

 शीर्षक - आओ कुछ ऐसा करें


खुशियों की फुहार है 

जीवन जैसे त्योहार है

पल -पल जीने की है ख्वाहिश 

अपने ही रंग में रंगने की हाँ करलें आजमाईश। 

शान्ति हो फैली चारों ओर 

जुंबा न बोलो कड़वे बोल। 

हो आपस में भाईचारा 

न ले कोई एक दूसरे से किनारा। 

माँ के आँचल को न कोई सुना कर पाए

पिता की छत्रछाया न किसी के ऊपर से जाए। 

रक्त रंजित न हो ये दुनिया अमन 

चैन के गीत पंछी गुनगुनाए।

गुरु के चरणों की धूल को माथे पर हर शिष्य लगाए। 

सभ्यता, संस्कार और मानवता आने वाली पीढ़ी को हम दे जाएँ।

हर बच्चे में हों ऐसे गुण 

देश का मान न हो अक्षुण्ण। 

लौटाना है हमें राम राज 

हाँ, करने हैं हमें कुछ ऐसे काज।।

डॉ जानकी झा

सहायक प्राध्यापिका, कवयित्री

कटक, ओडिशा

9438477979

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