शीर्षक - मेरे दुश्मन है बहुत ही

 दिनांक 21/11/022(सोमवार)

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शीर्षक - मेरे दुश्मन है बहुत ही


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मेरे दुश्मन है बहुत ही, उनसे तू मिल लेना।

साथ वो तेरा देंगें, मेरा खून करवा लेना।।

मेरे दुश्मन है बहुत ही -----------------------।।


तुमको जरूरत है अब तो, जानने की बहुत ही।

मेरी कमजोरी है क्या, उनसे ही पूछ लेना।।

मेरे दुश्मन है बहुत ही ---------------------।।


अब तो खुलकर मुझको भी,होना है तेरे जैसा।

मेरे दिल में अब नहीं तू ,पनाह उनकी ले लेना।।

मेरे दुश्मन है बहुत ही--------------------------।।


उनको भी चाहिए अब दिल, शौक पूरे करने को।

कमी तुझमें नहीं है कोई, मौज उनसे कर लेना।।

मेरे दुश्मन है बहुत ही---------------------------।।


होगी उनसे बेपर्दा, शेष जो है मेरी इज्जत।

खुशी तुमको बहुत होगी, गले उनको लगा लेना।।

मेरे दुश्मन है बहुत ही-----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार - 

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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