शीर्षक - अब तक मैं

 दिनांक 18/10/022(मंगलवार)

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शीर्षक - अब तक मैं


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अब तक मैं मानता था,

तुमको मेरा सच्चा प्यार,

इसीलिए जता रहा था मैं,

तुम पर मेरा अधिकार,

और निभा रहा था मैं,

तुमसे वफ़ा और वादें।


अब तक मैं समझता था,

तुमको अपनी इज्जत- शान,

नहीं करता था पसंद मैं,

तेरी बदनामी किसी से,

तुम पर किसी के कटाक्ष,

और बचा रहा था मैं,

तुमको बुरी निगाहों से।


अब मैं किये हुए था,

यह प्रण और कसम,

कि नहीं होने दूँगा मैं ,

बर्बाद तुम्हारे सपनें,

नहीं मिटने दूँगा कभी,

तेरी हस्ती और खुशियां,

और कर रहा था दुहा मैं,

तुम्हारी खुशहाली की ईश्वर से।


अब तक मैं संजोए हुए था सपनें,

तुमको अपना हमराह बनाने के,

तुमको अपनी जिंदगी बनाने के

मगर आज मैंने आँखों से देखा है,

तुमको किसी के साथ प्यार में,

और मेरे सपनें हो गए बर्बाद,

तुमको ऐसा करते देखकर।





शिक्षक एवं साहित्यकार-

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मोबाईल नम्बर- 9571070847

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