शीर्षक - बेटी तो, ऐसी ही होती है

 दिनांक 26/09/022(सोमवार)

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शीर्षक - बेटी तो, ऐसी ही होती है


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बेटी तो, ऐसी ही होती है।

शान घर की, बेटी ही होती है।।

कम नहीं है बेटी , बेटों से।

इज्ज़त घर की , बेटी ही होती है।।

बेटी तो, ऐसी ---------------------।।



आँगन की खुशी, बेटी ही है।

रोशनी घर की, बेटी ही है।।

बेटी बिना नहीं, रौनक घर में।

गौरव घर की, बेटी ही है।।

बोझ नहीं समझो, बेटी को तुम।

लक्ष्मी घर की, बेटी ही होती है।।

बेटी तो, ऐसी---------------------।।



घर का नाम रोशन, किया बेटी ने।

वंश परिवार का, बेटी ने बढ़ाया।।

इंदिरा, झांसी रानी, कल्पना चावला।

इन्होंने सम्मान, वतन का बढ़ाया।।

बेटों से कम महत्त्व नहीं, बेटी का।

बेटी भी घर की , वारिस होती है।।

बेटी तो ,ऐसी ---------------------।।



बेटियों के लिए, मानसिकता बदलो।

बेटी को बचाओ, बेटी को पढ़ाओ।।

लेने दो इनको जन्म, धरती पर।

कोख में नहीं हत्या, इनकी कराओ।।

देती है सहारा बुढ़ापे में,बेटियां।

लाठी बुढ़ापे की , बेटी भी होती है।।

बेटी तो,ऐसी ----------------------।।




साहित्यकार एवं शिक्षक-

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मोबाईल नम्बर- 9571070847

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