शीर्षक - वैसे तो तुमसे

 दिनाँक 27/06/022(सोमवार)

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शीर्षक - वैसे तो तुमसे


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वैसे तो तुमसे,

रहता हूँ उत्सुक मिलने को रोज,

और देखता हूँ तुम्हारे सपनें रोज,

बनाने को तुमको अपना मैं,

हमरुह, हमदर्द और हमराह।


क्योंकि तुमसे करता हूँ प्यार,

मानकर अपनी ख़ुशी तुमको,

मानकर अपना हमराही तुमको,

देता हूँ मैं सच्चे दिल से तुमको,

इज्जत और अपनी खुशी।


चाहता हूँ तुमसे भी बदले में,

निःस्वार्थ प्यार और सम्मान,

खुशी के बदले दिल की खुशी,

हमदर्दी और दवा जिंदगी की,

बिना किसी शर्त और वादे के।


वैसे तो तुमसे,

कहना चाहता हूँ यह भी,

नहीं मिलेगा मुझसा दीवाना,

तुम पर करने को कुर्बान,

अपनी दौलत- शौहरत, खुशी,

इस जन्म में जमाने में तुमको।


लेकिन मत करना कभी यह भूल,

किसी से लगाने को दिल अपना,

नहीं रहोगी इतनी पवित्र तुम,

हो जावोगी बदनाम- बर्बाद तुम,

नहीं मिलेगी पनाह छुपाने को सिर।


तुम रहोगी हमेशा सावधान,

कम से कम मेरे विचार से तो,

और लिखता आया हूँ यही मैं,

तुम्हारे लिए अपने नगमों में, 

और करता हूँ यही उम्मीद मैं,

वैसे तो तुमसे।






शिक्षक एवं साहित्यकार-

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मोबाईल नम्बर- 9571070847

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