स्योहारा।जब इंसाफ देने वाले ही यानी रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो भला पीड़ित को न्याय और आरोपी को सजा मिल भी केसे सकती है ऐसा ही एक मामला यहां देखने को मिल रहा है

 स्योहारा।जब इंसाफ देने वाले ही यानी रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो भला पीड़ित को न्याय और आरोपी को सजा मिल भी केसे सकती है ऐसा ही एक मामला यहां देखने को मिल रहा है


जहां आरोपी,उसकी जांच करने वाले अधिकारी उल्टा पीड़ित को ही  कसूरवार साबित करने में तुले हैं घटना क्रम के अनुसार पीड़ित रहीमुद्दीन पुत्र रफी उद्दीन निवासी मंसूर सराय ने थाने,सहित तमाम अधिकारियो को दिए एक शिकायती पत्र में बताया की  वो बहुत गरीब परिवार से हैं और उसके छोटे भाई मुस्तकीम के सर में एक फोड़ा निकला था जिसको दिखाने के लिए गत दिसंबर माह में वो यहां धामपुर मार्ग स्थित चांद क्लीनिक पर डा.गद्दाफी के पास पहुंचे तो जांच कराने के बाद डा गद्दाफी ने इलाज करने के हामी भर दी और मुस्तकीम के सर में मोबाइल की रोशनी में दूषित ओजारो से चीरा लगाकर टांके लगा दिए और भारी फीस वसूल कर घर भेज दिया लेकिन कुछ दिनो बाद मुस्तकीम के सर में भयंकर दर्द होने लगा और उसके सर में पस पड़ना शुरू हो गया तो मुस्तकीम को डा गद्दाफी के पास ले जाया गया तो डा गद्दाफी ने मुस्तकीम को बड़े डॉक्टर को दिखाने को बोलकर टाल दिया जब मुस्तकीम को मुरादाबाद ले जाकर दिखाया गया तो वहां बताया गया की गलत ओजारो से और गलत तरीके से फोड़े में चीरा लगाया गया है जिसकी वजह से सर में इंफेक्शन की वजह से पस पड़ गया है.बताया जा रहा है तब से अब तक मुस्तकीम मोटी रकम खर्च करने के बावजूद भी ठीक नही हो पाया है जबकि उसका भाई रहीमुदिन  हर रोज इस झोलाछाप डॉक्टर को सजा दिलाने के लिए अधिकारियो और पुलिस के चक्कर लगा रहा है इसके अलावा अन्य माध्यमों से भी वो अपनी गुहार लगा चुका है लेकिन लालची नुमा स्वास्थ्य अधिकारी अपनी जबान और कलम बंद करके उक्त झोलचाप डॉक्टर को अभय दान देने पर तुले हैं जिसके चलते जांच को अधिकारी आते हैं लेकिन झूठी रिपोर्ट लगाकर केस को बंद करने की कोशिश कर जाते हैं इसी कड़ी में शनिवार को एक बार फिर शिकायत पर अमल करते हुए नोडल अधिकारी डा.राहुल उक्त फर्जी क्लिनिक पर आते तो हैं लेकिन सूत्रों की माने तो वो अपनी जेब गर्म करके और पीड़ित को झूठा आश्वासन देकर चलते बने जबकि जांच के समय पर भी उक्त क्लीनिक पर कई मरीजों के मानकों उलट ड्रिप आदि लग रही थी लेकिन सबको दरकिनार कर डा राहुल मौके से और घटना से आंखे मूंद कर चलते बने.जबकि पीड़ित अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करके रह गया और उसने मौके पर जमकर हंगामा काटा लेकिन फर्जी के साथ साथ महाठग साबित हो रहा उक्त डॉक्टर ने तो अब पीड़ित को पहचानने से ही इंकार करते हुए कह दिया उसने मुस्तकीम का कभी इलाज किया ही नही और यही बात जांच करने वाले डॉक्टर ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखी है और इस झूठी कहानी को सच दिखाने के लिए क्लीनिक का रंग रूप ही बदल दिया है।

बरहाल इस सच और झूठ की लड़ाई में अब जीत फर्जी डॉक्टर उसका सहयोग कर रहे अधिकारी की होती है या सच और पीड़ित की ये कहना अभी जरा मुश्किल है।क्योंकि संपर्क करने के लिए डा राहुल को फोन किया गया तो उन्होंने काटकर फोन बन्द कर लिया।

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