सहसपुर। नगर पंचायत सहसपुर मैं पी पी आर जिसको बकरी के प्लेग के नाम से जाना जाता हैं

 सहसपुर। नगर पंचायत सहसपुर मैं पी पी आर जिसको बकरी के प्लेग के नाम से जाना जाता हैं


अत्यधिक तेज़ी से फेल रहा हैं जिसकी वजह से सैकड़ों बकरिया मौत के काल में समा गई हैं इस रोग को रोकने के लिए पर्याप्त टीके और दवाइयां पशुपालन विभाग ने दे तो रखी हैं लेकिन उन दवाइयों को देने वाले पशुधन प्रसार अधिकारी सहसपुर हमेशा अपने पशु केंद्र से नदारद रहते हैं जिस से ठीक समय पर इलाज न मिलने के कारण बकरियों की मौत हो जाती हैं लोगो का कहना हैं पशु केंद्र हमेशा बंद मिलता हैं और डॉक्टर साहब फोन उठाते नही हैं सहसपुर निवासी अनीस अहमद का कहना हैं वो पशु केंद्र गए हमेशा बंद मिलता हैं और डॉक्टर साहब ने फोन नही उठाया उनके करीब 10 बकरे की मृत्यु हो गई मोहल्ला अफ़गानान रईस अहमद का कहना हैं की जब भी वो पशु केंद्र जाते हैं तो पशु केंद्र बंद मिलता हैं और फोन उठाते नही हैं एक बार फोन उठाया भी उन्होंने कहा आपके बकरो को पी पी आर बीमारी हुई हैं आपका लंबा खर्चा आएगा और वो देखने भी नही आय और उनकी करीब 19 बकरे की मौत हो गई जबकि पशुपालन विभाग के आदेश पी पी आर टीके घर घर जाकर लगाई जाये।

 पी पी आर पैस्टी डिस्पेस्टिज रूमिनेंट बीमारी जिसको बकरी का प्लेग कहा जाता हैं।

इसमें बकरी को बुखार ,खासी नज़ला, मुंह में छाले,होकर बकरी की मृत्यु हो जाती हैं।

बकरिया गरीबों की गाय कहलाती हैं।

गांव, कस्बों में गरीब से गरीब परिवार जिनके पास बड़े पशुधन नही हैं ,उनके लिए बकरियां गाय का रूप मानी जाती हैं‌

 बकरी ऐसी जीव हैं जो मिल जाय खा लेती हैं, और उसको खाकर दूध देती हैं।

 जिससे गरीब परिवार का गुज़ारा हो जाता हैं।

 बकरियां समय पर बच्चे भी देती हैं। जिसको बेचकर कुछ धन अर्जित हो जाता हैं।

 जिससे उनके परिवार का गुज़ारा होता हैं।

सहसपुर निवासी रईस अहमद का कहना हैं ।

उनकी 19 बकरियां मर जाने के बाद डॉक्टर मिल नहीं पाते

और आते हैं तो पैसे बहुत मांगते हैं।

पैसे कम होने की वजह से पशु के डॉक्टर पशुओं का इलाज नहीं करते जिसके कारण बकरियों को उपचार ना मिलने से बकरी तड़प तड़प कर मर जाती हैं।

 उनसे देखा नही जाता अब वे बकरी पालन नहीं करेंगे।

क्योंकि ठीक समय पर उपचार नहीं मिल पाता है।

 जबकि सरकार की और से बकरी पालन के लिए नई नई योजनाएं है। सरकारी डॉक्टर की लापरवाही से उनका ड्यूटी पर उपस्थित ना होने से पशु पालन पर बहुत बड़ी गिरावट आ सकती है।

वहीं सहसपुर नगर के पशु चिकित्सक डॉक्टर लिवेन्दर का कहना है कि 

मैं रोजाना अपनी ड्यूटी पर दोपहर  2:00 बजे तक बैठता हूं।

अगर कोई व्यक्ति अपने बीमार पशु के लिए फोन करता है तो उसका तुरंत फोन उठाया जाता है, और उसे प्राथमिक उपचार दिया जाता है।

 यह मेरी जानकारी में नहीं है कोई फोन करता है तो मैं फोरन फोन उठाता हूं।

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