राष्ट्रीय संस्था 'देवशील मेमोरियल.. एक संकल्प' के तृतीय स्थापना दिवस का दिल्ली में सफल आयोजन

 राष्ट्रीय संस्था 'देवशील मेमोरियल.. एक संकल्प' के तृतीय स्थापना दिवस का दिल्ली में सफल आयोजन


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पिण्डवाड़ा(राजस्थान) - 11 दिसम्बर 2022 को दिल्ली के पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रीय संस्था 'देवशील मेमोरियल... एक संकल्प' का तृतीय स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से आयोजित हुआ।

          संस्था के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी गुरुदीन वर्मा के अनुसार कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ आशीष कंधवे, अध्यक्ष राशदादा राश, महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कु. गुप्ता, संस्थापिका अध्यक्ष रश्मि अभय एवं देश भर से आये वरिष्ठ साहित्यकारों के द्वारा दीप प्रज्वलित करके हुआ। सरस्वती वंदना संस्था की छोटी सदस्या अनन्या दुवे के नृत्य प्रस्तुति से हुई। कार्यक्रम के प्रथम सत्र अतिथियों का सम्मान और उनके उद्घोषन का था। जिसमें माननीय डॉ आशीष कंधवे, राशदादा राश, पवन जैन, ओमप्रकाश प्रजापति, भुदत्त शर्मा, मनोज कुमार मनोज, राजपाल यादव, राजेश प्रभाकर, सोनिया अक्स,मधु मधुमन, सुभाष चन्दर, महेश वर्मा, राजीव तनेजा, अनुराधा पाण्डेय, मो नसीम अख़्तर, प्रो. रवींद्र कुमार गुप्ता, डॉ शालिनी अगम, अशोक गुप्ता एवं और भी गणमान्य अतिथियों एवं सदस्यों को सम्मानित किया गया। इसी दौरान अनन्या दुवे को जहाँ 'माँ मीरा राश सहाय स्मृति प्रतीक' से सम्मानित किया गया तो यूएस से आईं इंदु यादव भाटिया जो कि  मिसेस इंडिया डी एम वी (यूएस) और मिस फोटोजेनिक (यूएस) 2022 हैं , को सेलेब्रिटी गेस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। ज्ञातव्य हो कि संस्था द्वारा प्रति वर्ष दो समाजसेवी संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है, इस सिलसिले में इस वर्ष ये सम्मान गाज़ियाबाद के 'काव्य कार्नर फाउंडेशन' एवं 'आनद सेवा समिति' को प्रदान किया गया। साथ ही साथ संस्था द्वारा प्रकाशित काव्य संग्रह स्पर्शिका' एवं 'स्मारिका' का और संस्था की अध्यक्षा रश्मि अभय के काव्य संग्रह ' प्रेम में कोई अनुबंध नहीं 'का भी लोकार्पण इस कार्यक्रम में किया गया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ' स्पर्शिका रचनाकार सम्मान ' एवं काव्य पाठ का आयोजन रहा। कार्यक्रम की सफलता का आकलन सोशल मीडिया पर हो रही आत्मीय प्रशंसा से सहज ही लगाया जा सकता है। मीडिया से मुखातिब होते हुए संस्थापिका अध्यक्षा रश्मि अभय बहुत ही भावुक नजर आई। उन्होंने बताया कि संस्था की स्थापना के समय उन्होंने दूर तक यह नहीं सोचा था कि इतने कम समय में साहित्य और समाज की सेवा में अपना तुच्छ योगदान दे पायेगी। उन्होंने कहा कि यह सब उनके माता-पिता का आशीर्वाद है जिनके नाम से यह संस्था है।

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