शीर्षक - ये कलियाँ हसीन,ये चेहरे सुन्दर
दिनांक 18/11/022(शुक्रवार)
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शीर्षक - ये कलियाँ हसीन,ये चेहरे सुन्दर
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ये कलियाँ हसीन,ये चेहरे सुन्दर।
यह इनकी अदाएं, यह इनकी नजर।।
आग लगाकर और प्यास जगाकर।
हो जाती है दूर, ये दीवाना बनाकर।।
ये कलियाँ हसीन---------------------।।
ये मिलती है पहले, छुपकर सबसे।
करती है वादें , निभाने को दिल से।।
जब बढ़ता है प्यार, हद से ज्यादा।
करती है किनारा, बहाना बनाकर।।
ये कलियाँ हसीन---------------------।।
बनाने को आशिक, फैलाती है जुल्फें।
फंसाने को दिल, मिलाती है आँखें।।
दौलत की भूखी, महलों की प्यासी।
करती है जुल्म, प्यास अपनी बुझाकर।।
ये कलियाँ हसीन----------------------।।
बदलती है पल में, साथी ये अपना।
करती है बर्बाद, बनाकर खिलौना।।
करती है खूं दिल का, धोखा देकर।
लड़ाती है आपस में, झगड़ा कराकर।।
ये कलियाँ हसीन----------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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