शीर्षक - यह कैसा तुमने जादू मुझपे किया

 शीर्षक - यह कैसा तुमने जादू मुझपे किया


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यह कैसा तुमने जादू मुझपे किया।

दिल मेरा तुमने काबू  ऐसे किया।।

नहीं मतलब मुझको किसी से अब।

रोगी मुझको तुमने यह कैसा किया।।

यह कैसा तुमने-----------------------।।


नहीं लगता अच्छा कोई मुझको दूजा।

मैं करता हूँ हरवक्त तुम्हारी पूजा।।

नहीं चाहता मैं कुछ भी तुमसे सनम।

प्यार में तुमने महशूर मुझको किया।।

यह कैसा तुमने-----------------------।।


मैं सींच रहा हूँ यह गुलशन तेरा।

मैं कर रहा हूँ रोशन दीपक तेरा।।

रुठकर मुझसे दूर तुम जाना नहीं।

मैंने कुर्बान सब कुछ तुझपे किया।।

यह कैसा तुमने----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार-

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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