शीर्षक - मानकर जिसको अपनी खुशी

 दिनांक  25/11/022(शुक्रवार)

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शीर्षक - मानकर जिसको अपनी खुशी


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मानकर जिसको अपनी खुशी, मैं खुशी से जीता हूँ।

कैसे किसी को दे दूँ उसे, जिंदगी जिसको कहता हूँ।।

मानकर जिसको अपनी खुशी-------------------।।


यह जो मैं भरता हूँ दम, बोलो किसके दम पर।

मेरे जो बहते हैं  आँसू , बोलो किसके गम पर।।

कैसे सह लूँ उसके दुःख, ख्वाब जिसको कहता हूँ।

मानकर जिसको अपनी खुशी-------------------।।


हाँ मुझको चाहे वह , मोहब्बत करता नहीं हो।

वह चाहे मेरी इज्जत और चिंता करता नहीं हो।।

कैसे कह दूँ उसको दुश्मन, जिसकी पूजा करता हूँ।

मानकर जिसको अपनी खुशी------------------।।


मत कहो तुम लफ्ज़ बुरे, मेरे उस दिल के लिए।

कुछ भी कर सकता हूँ मैं, मेरी उस जां के लिए।।

देखूँ कैसे उसकी बर्बादी, जिसको दुहा मैं कहता हूँ।

मानकर जिसको अपनी खुशी--------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार- 

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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