शीर्षक - मैं कदम यह नहीं उठाता
दिनांक 22/11/022(मंगलवार)
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शीर्षक - मैं कदम यह नहीं उठाता
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मैं कदम यह नहीं उठाता, अगर समझा होता मुझको।
तुम्हारा नहीं मैं होता दुश्मन, कहा होता अपना मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता---------------।।
तुमने वह मेरे साथ किया है, करता नहीं जो दुश्मन भी।
होता नहीं बदनाम ऐसे मैं, अपनाया होता गर मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता-----------------।।
लोग यहाँ अब कर रहे हैं , चर्चा तुम्हारी मोहब्बत की।
होते नहीं तुम बदनाम ऐसे, प्यार दिया होता मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठता------------------।।
छोड़ो मुझ पर इल्जाम लगाना,छोड़ जावो यह शहर।
होता नहीं मुझसे गुनाह यह, दिल में रखा होता मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता------------------।।
मेरी वफाई समझी नहीं , देखकर मेरे आँसू तुमने।
होते नहीं दूर दिल से तुम, किया होता आबाद मुझको।।
मैं कदम यह नहीं उठाता------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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