शीर्षक - त्यौहार जब भी मनाते हैं हम
दिनांक 28/10/022(शुक्रवार)
------------------------------------------------------
शीर्षक - त्यौहार जब भी मनाते हैं हम
-------------------------------------------------------
त्यौहार जब भी मनाते हैं हम।
तब क्यों भूल यह जाते हैं हम।।
मदहोश होकर यह करते हैं हम।
धर्म और शर्म भूल जाते हैं हम।।
त्यौहार जब भी ------------------।।
जाति का अभिमान हम नहीं भूलते।
व्यवहार मानवता का हम नहीं करते।।
बलवें करवा देते हैं धर्मों में हम ।
कर देते हैं बदनाम धर्म को हम।।
त्यौहार जब भी----------------------।।
उड़ते हैं हवा में हम भूलकर जमीं।
हम देखते हैं सिर्फ औरों में कमी।।
बदनामी औरों की करते हैं हम।
बस्तियां गरीबों की जलाते हैं हम।।
त्यौहार जब भी--------------------।।
खुशी- जश्न में हम यह भूल जाते हैं।
चिराग औरों के हम तब बुझाते हैं।।
तस्वीर प्रकृति की बिगाड़ते हैं हम।
ऐसे बुरे काम - पाप करते हैं हम।।
त्यौहार जब भी-------------------।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847
Comments
Post a Comment