शीर्षक-वो दिन याद आते हैं
शीर्षक-वो दिन याद आते हैं
वो बरसात के दिन याद आते हैं
नाव बहाने के दिन याद आते हैं
कच्चे रास्ते मुझे याद दिलाते हैं
बो बरसात के दिन याद आते हैं
दिन तो वो ही हैं पर उम्र बढ़ गई
बचपन के मौसम,कश्ती छूट गई
काले बादल मुझे याद दिलाते है
वो बरसात के दिन याद आते हैं
स्कूल से छूटना भीगते हुए आना
कंपकपाते होंठ लड़खड़ाती जुबाँ
माँ की गुस्सा मुझे याद दिलाते हैं
वो बरसात के दिन याद आते हैं
वो मुझे बरसात में सावन के मेले
गांवों में जो पेड़ों पे झूले थे झूले
पेड़ों की छाँव मुझे याद दिलाते हैं
वो बरसात के दिन याद आते हैं
कच्चे मकां टपकती छत की रातें
अब याद आतीं बचपन की बातें
वो बचपन के पल याद दिलाते हैं
वो बरसात के दिन याद आते हैं
रचनाकार-कवि अरुण चक्रवर्ती
गुरसहायगंज कन्नौज
मो.9795718204
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