तुम्हें कुछ मिला न मुझे कुछ मिला

 दिनांक- 30/12/021(गुरुवार)


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  तुम्हें कुछ मिला न मुझे कुछ मिला


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तुम्हें कुछ मिला न मुझे कुछ मिला।

मुझे जो मिला वो तुम्हें भी मिला।।

कुछ भी कहे चाहे यह जग सारा।

गाने को नगमा यह सबको मिला।।

तुम्हें कुछ मिला न----------------।।



किसने की बेवफाई, कौन वफ़ा इसमें हुआ।

कितने बहे हैं आंसू तुम्हारे, कितना लहू मेरा बहा।।

किसको मिला है ताज तख्त का,किसके सिर यह सेहरा हुआ।

तोहफा यह तुझको न मुझको मिला,मुझे जो मिला वो तुम्हें भी मिला।।

तुम्हें कुछ मिला न------------।।



जिस मंदिर में तु दीप जलाये, उसकी दर पे सिर मेरा झुकना।

मांगे मिन्नत तु जो वहाँ पर, विनती मेरी वहाँ यह करना।।

जिस जन्नत में तेरा होगा महल, मुझको भी है बस वहीं बसना।

खुदा यहाँ तुझको न मुझको मिला, मुझे जो मिला वो तुम्हें भी मिला।

तुम्हें कुछ मिला न----------------।।



हर ख्वाब किसका पूरा हुआ, हर जंग को किसने जीत लिया।

किश्ती किसकी न डगमगाई,हस्ती का दीपक किसने मिटने दिया।।

कौन नहीं है गुलाम यहाँ पर, आज़ाद किसने खुद को नहीं किया।

चमन महका तुझको न मुझको मिला, मुझे जो मिला वो तुम्हें भी मिला।

तुम्हें कुछ मिला न--------------।।




रचनाकार एवं लेखक

गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद

पता- ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

मोबाईल नम्बर- 9571070847

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