शीर्षक - दो पल की जिंदगी
दिनांक- 29/12/021
दिन - बुधवार
विधा- स्वतंत्र
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शीर्षक - दो पल की जिंदगी
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खुशनसीब है हम पाकर यह , दो पल की जिंदगी।
बनकर जीये इंसान हम यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------।।
जीवन है दिन-रात की तरह, कभी धूप तो कभी अंधेरा।
नहीं बनाये नहीं पराजय यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------।।
जाति- धर्म और मजहब पर, नहीं करें कभी भेदभाव।
पूजे हमें याद करके हमारी यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर----------।।
छल- कपट और बेवफाई, हम ना किसी से करें कभी।
वादे पर मर जाना सिखाती है यह,दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------।।
सबकी सुने, सबका ध्यान रखें, खुश हमसे हो यहाँ सभी।
पल दो पल का साथ हमारा है यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------।।
हो जाये बलिदान खुशी से, अपने चमन-वतन के लिए।
हमपे कर्ज है अपने वतन का यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर-----------।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847
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