*गजानन*
*गजानन*
शिव गौरी पुत्र,अस्थिर अति चंचल,
अनगिनत रूप,अनगिनत नाम।
अतुल्य मनमोहक, मनोरम छवि,
आकृति अनोखी गज सामान।।
परम शक्तिशाली, अद्भुत स्वरूप,
विराट, सम्राट, असीम विवेकशील।
हर नाम यथार्थ, सार्थक,
सुमुख विकट लंबोदर व कपिल।।
हर शुभारंभ जिनकी स्तुति से,
हर उद्घाटन उनके नाम से।
माता-पिता की परिक्रमा ही है तीर्थ,
तुलना में चारों धाम के।।
अपने ज्ञान की ज्योति से,
दूर किया अज्ञानता के अंधेर को।
तोड़कर अहंकार भौतिक सुखों का,
दंभ मुक्त किया कुबेर को।।
उनकी लीला व जीवनकाल की प्रेरणा,
भक्तों के सदा समक्ष है,
ज्ञान अमृत का स्रोत है धूम्रकेतु,
सर्वव्यापी गणाध्यक्ष है।।
जीवन में स्फूर्ति का संचार,
सुख समृद्धि जैसे अनंत है।
वह न्यायप्रिय न्यायाधीश,
वह गणपति बप्पा, एकदंत है।।
मनमोहक प्रतिमा, अप्रतिम छवि,
सूरत इतनी प्यारी है।
महा प्रतापी, सर्वप्रिय व ज्ञानी,
मूषक इनकी सवारी है।।
वह विजय की अडिग नींव,
द्वेष,नकारात्मकता का समापन है।
गजकर्ण हमारे अद्वितीय अनुपम,
वह भालचंद्र, विघ्ननाशक गजानन है।
प्रो.आराधना प्रियदर्शनी
स्वरचित व मौलिक
हजारीबाग
झारखंड
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