साहित्य एक नज़र की प्रस्तुति
*साहित्य एक नज़र की प्रस्तुति
"वक्त की बातों में ना आना" काव्य संग्रह का हुआ विमोचन*
साहित्य एक नज़र कोलकाता से प्रकाशित होने वाली दैनिक पत्रिका के तीन महीने सफलता के साथ पूर्ण होने के उपलक्ष्य में "वक्त की बातों में ना आना" साझा काव्य संग्रह का विमोचन भव्यता के साथ 11 अगस्त' 2021 संपन्न हुआ । आज से तीन महीने पहले रोशन कुमार झा 11 मई 2021 , मंगलवार को साहित्य एक नज़र की यात्रा पर अकेले चले थे परंतु आज हम फेसबुक मंच 1100 सम्मानित साहित्य प्रेमियों के साथ साहित्यिक यात्रा कर रहे हैं । आप सभी सम्मानित साहित्यकारों व पाठकों का सहयोग , स्नेह और आशीर्वाद से आज 93 वें अंक प्रकाशित करने जा रहे है । इसी बीच कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातक तृतीय वर्ष की एवं एनसीसी की अपनी परीक्षाओं के बीच भी पत्रिका के किसी अंक को रोके नहीं, बस समय से नहीं प्रकाशित भले नहीं कर पाये ,जैसे आज की अंक को कल प्रकाशित किए लेकिन जब भी किए दिनांक अंक क्रमानुसार किए । साहित्य एक नज़र की एक मधुबनी इकाई है,जहाँ से মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर साप्ताहिक पत्रिका थी अब वह मासिक हो गई है , जिसका संपादिका आदरणीया ज्योति झा जी हैं। মিথি LITERATURE , मिथि लिट्रेचर मासिक पत्रिका में मैथिली रचना को प्रकाशित किया जाता है । इसके साथ ही साहित्य एक नज़र से एक और मासिक पत्रिका निकलती है - 'विश्व साहित्य संस्थान वाणी' - जिसमें हर भाषा की रचना को सम्मिलित किया जाता है । समय समय पर साहित्य एक नज़र नये नये कार्यक्रम भी करते आ रहे है । 02 अगस्त 2021 को "महाकाल काव्य वृष्टि" काव्य संग्रह का विमोचन आदरणीय राजीव भारती जी के कर कमलों से किया गया । महाकाल काव्य वृष्टि काव्य संग्रह के संपादिका आदरणीया ज्योति सिन्हा जी रहीं । इसी क्रम के साथ 11 अगस्त 2021 , बुधवार को "वक्त की बातों में ना आना" काव्य संग्रह का विमोचन धामपुर बिजनौर , उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार , अभिव्यक्ति पत्रिका के संपादक आ. डॉ . अनिल शर्मा " अनिल " जी के कर कमलों द्वारा किया गया । डॉ अनिल शर्मा जी का धन्यवाद सह सादर आभार । संपादक आ. राजीव भारती जी , सह संपादिका आ. ज्योति सिन्हा जी, आ. दीप्ति प्रिया जी , कार्यकारी संपादिका - आ. सृष्टि मुखर्जी , संरक्षक - आ. सुधीर श्रीवास्तव जी को हृदय तल से धन्यवाद सह सादर आभार आपकी परिश्रम से साहित्य एक नज़र अपनी साहित्य यात्रा कर रहे है । वक्त की बातों में ना आना काव्य संग्रह में कुल 21 सम्मानित साहित्यकारों ने भाग लिए हैं , जो एक शुभ संख्या है , और ये शुभ संख्या उन्नति की प्रतीक है । वक्त की बातों में ना आना काव्य संग्रह में सम्मिलित सम्मानित रचनाकारों में
आ. रंजना लता जी , आ. कंचन विश्वकर्मा जी , आ. राजीव भारती जी , आ. ज्योति सिन्हा जी , आ. गगन खरे क्षितिज जी , आ. अरविंद भट्ट जी , आ. कंचन कृति जी , आ. अंबिका गर्ग जी , आ. कृष्ण कुमार महतो जी , आ. दीप्ति प्रिया जी , आ. सुधीर श्रीवास्तव जी , आ. रोशन कुमार झा जी , आ. यू एस लश्कर जी , आ. डॉ अनिल शर्मा अनिल जी , आ. रीता मिश्रा जी , आ. रीतु प्रज्ञा जी , आ. संगीता सागर जी , आ. सुनीता रानी राठौर जी , आ. जगत भूषण राज जी , आ. सृष्टि मुखर्जी , एवं आ. रामबाबू प्रसाद जी शामिल हैं।"वक्त की बातों में ना आना" काव्य संग्रह में सम्मिलित सभी सम्मानित रचनाकारों को " कालचक्र" सम्मान से सम्मानित किया गया ।
आ. दीप्ति प्रिया जी (सम्पादिका) व आ. सृष्टि मुखर्जी (कार्यकारी सम्पादिका) के संपादन में "साहित्य एक नज़र" का अगला काव्य संग्रह "साहित्य शक्ति और राष्ट्र शक्ति" है । जिसके लिए आप सभी सम्मानित साहित्यकारों से रचनाएं आमंत्रित हैं।
सुंदरम सुंदरम सुंदरम
ReplyDeleteवाह बहुत खूब। बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete