कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस
ऐ पाक कहने को तु पाक है,
फिर इरादे नापाक क्यों?
क्या तुझे तनिक इल्म न था,
मेरे भारत के शेरों का,
साधा था जब तेरे कपटी इरादों ने,
टाइगर हिल की चोटी पर निशाना,
शायद तब तुझको इल्म न था,
भारत माँ का बेटा एक
सौरभ ही काफी था,
जो झुका न था तेरे आगे,
बस तेरे छल पर शौर्य
प्राण वो हारा था,
शीश का अपने भेंट चढा़
भारत का मान बढ़ाया था,
विक्रम बद्रा और मनोज से भी
नाकों चने तूने चबाया था,
कारगिल घाटी की बेदी पर
वीरों ने भेट शीश के चढा़ये थे,
विजय दिवस की शौर्य गाथा,
आज भी गाता कारगिल है,
गौरवानित हो तिरंगा
वीरों का यशगान सुनाता है।
सुनीता सिंह सरोवर,उमानगर- देवरिया,देवरिया-उत्तर प्रदेश
8543925722
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