योगीराजमें न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता गण खुद न्याय के लिए हो रहे हैं परेशान

 योगीराजमें न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता गण खुद न्याय के लिए हो रहे हैं परेशान 


अधिवक्ता परेशान हैं तो क्या जनता चैन से होगी



मिर्जापुर सदर तहसील में अधिवक्ता परेशान हैं तो सोचिए क्या जनता चैन से होगी। आप सोच रहे हो की अधिवक्ता क्यों परेशान हैं और जनता चैन से क्यों नहीं होगी क्योंकि भैया योगीराज है और भ्रष्टाचार मुक्त करने की  प्राथमिकता उत्तर प्रदेश  सरकार ने दिया था लोगों ने सोचा कि अब तनावमुक्त जिंदगी मिलेगी पर भ्रष्टाचार से मुक्त यूपी का हर विभाग मिलेगा पर सरकार की भाषण बाजी वैसे ही साबित हुई जैसे की कहावत है लग्गि से पानी पिलाना हो स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो सरकार की भाषण वादे बाजी जुमलेबाजी में साबित हो रही है भ्रष्टाचार मुक्त पे या सरकार की अन्य योजनाओं की बात करें तो वह भी फेल दिख रहा है आइए ज्यादा घुमा फिरा कर बात करने की जगह स्पष्ट चलते हैं मुद्दे की ओर अधिवक्ता परेशान हैं और जनता क्या चैन से सो रही है इसी पर बात करते हैं

मामला मिर्जापुर सदर तहसील का है जहां आज 3 माह से अधिवक्ता गण नायब तहसीलदार के रवैया और एसडीएम के कार्यशैली पर प्रमुखता से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं नायब तहसीलदार को चोर और तहसीलदार की चोरी के पूर्ण रूप से  संरक्षण देने वाले एसडीएम को चोरों का शहंशाह कह रहे हैं एक्चुअली शहंशाह का शब्द हमने ऐड किया बाकी तो अधिवक्ताओं ने अपने शब्दों के मर्यादित शब्दों से यह बात सुशोभित कर ही दिया कि चोरों का शहंशाह कौन है बात भ्रष्टाचार की है अधिवक्ताओं के 3 माह से सदर तहसील में न्यायालय का कार्य स्थगित करने को लेकर है अब आप सोच लो कि जब न्याय पालिका के सिपाही अधिवक्ता गण ही अपने सिपहसालार से परेशान होंगे व न्यायालय का कार्य स्थगित है और जनता क्या चैन से होगी जी बेशक आप का दिमाग उसी और गया होगा जिस और जाना चाहिए जब न्यायालय का कार्य स्थगित है तो जनता चैन से कैसे रहेगी जनता की परेशानी तो न्यायालय से मिलने वाले निर्णय पर ही दूर हो सकती है क्योंकि न्यायालय में वाद विवाद दाखिल होता है और जिसे उच्च अधिकारियों के द्वारा न्यायिक दृष्टिकोण से देख कर न्याय करना होता है पर न्याय की बात तो छोड़िए जब न्याय दिलाने वाला खुद न्याय के लिए परेशान है न्याय के लिए भी सरकार के दायित्व निर्वाहन अधिकारियों को सुविधा शुल्क देना होता है सुविधा शुल्क ना देने पर, शोषण करने का दौरे खिलवाड़ न्यायिक पद पर बैठे न्याय बाबू उमेश चंद्रा जी चालू कर देते है जी यह नाम हम लेने को मजबूर हैं क्योंकि अधिवक्ताओं ने खुलेआम नारेबाजी की उमेश चंद्रा चोर है जनता के साथ जनता के अधिकारों का हनन साथ में सरकार की आंखों में धूल झोंकने वाला यह भ्रष्ट अधिकारी बेईमान घूसखोर अधिकारी कई जगह की इनकी कार्यशैलीओं के वजह से इसका ट्रांसफर किया गया और इसको कई बार निलंबित भी किया गया ऐसा अधिवक्ताओं के अध्यक्ष राजेश मिश्रा के द्वारा खुले और स्पष्ट शब्दों कहा गया  अब आप सोच लो कि यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में है की नही अधिकारियों को खुलेआम न्यायालय परिसर में चोर कहा जा रहा है बेईमान भ्रष्टाचारी कहा जा रहा है और वही एसडीएम को संरक्षण देने वाला अधिकारी कहां जा रहा है बता दे अधिवक्ताओं ने बताया है और न्यायिक व्यवस्थाओं की गाइडलाइन भी कहती है कि एक व्यक्ति को जिले में 1 साल से ज्यादा वक्त गुजार लेना यह कुदरत की मेहरबानी है कि अधिकारियों की जेब गर्म कर के भ्रष्टाचार के पांव को पसारने का निशानी है अधिवक्ताओं के अध्यक्ष राजेश मिश्रा के द्वारा बताया गया कि एसडीएम 3 साल से ज्यादा वक्त बिता चुके हैं मिर्जापुर जिले में और नायब तहसीलदार उमेश चंद्रा करीब 5 साल के लगभग जिले में व्यतीत कर रहे हैं क्या सरकार के एक अधिकारी को जिस पर भ्रष्टाचार का दाग लगा हो और नियम विरुद्घ ,गाइडलाइन के बावजूद भी अधिकारियों को 1 जिले में एक ही स्थान पर रखकर क्या भ्रष्टाचार की फसल को फलने फूलने का पोशकता दिया जाता है बड़ा सवाल है योगी सरकार पर कि भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे कि बढ़ावा देंकर पोशित ......

अधिवक्ता राजेश मिश्रा द्वारा पोल खोल पोस्ट समाचार के रिपोर्ट स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे  को बताया गया कि मिर्जापुर सदर तहसील में नायब तहसीलदार से लेकर तहसील में जमा बाबू को बिना सुविधा शुल्क दिए कोई कार्य नहीं हो सकता संवैधानिक दायित्व का निर्वाहन न कर के यह अधिकारी और बाबू भ्रष्टाचार की परिकाष्ठा के परिभाषा के  शब्दों में बात करते ही और सुविधा शुल्क के बिना कोई दायित्व का निर्वहन नहीं करते सुविधा शुल्क तो शुल्क होती है पर सुविधा शुल्क से भी ज्यादा मुंह खोल कर बोल जाते हैं जिससे पीड़ित व्यक्ति पीड़ा के ज्वार भाटा में ज्वलित होकर मरता क्या न करता वाले हाल पर हो जाता ना रास्ता देखने पर मरने वाले राह पर चल पड़ता है अधिवक्ता अध्यक्ष ने कहा कि आज 3 माह हो रहा है जहां पर हम जैसे अधिवक्ताओं ने लिखा पढ़ी की साक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री पोर्टल के माध्यम से  सबको जानकारी दी उसके बाद भी एसडीएम साहब पता नहीं क्यों मेहरबान है नायब तहसीलदार उमेश चंद्रा पर यक्ष प्रश्न


जिस राज्य में न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता ही परेशान हो जाए भ्रष्टाचार की जंग लड़ने वाले अधिवक्ता ही पीड़ित दिखाई देने लगे तो समझ लीजिए बेड़ा गर्क है सरकार भ्रष्टाचारियों से क्या निजात दिलाएगी जब 3 माह से न्यायालय बंद है तो जनता के वाद विवाद का निस्तारण कैसे निकलेगा।


सुगम प्रहरी समाचार न्यूज अपने लेखनी से सरकार को जगाने का काम करती है   अन्नाय के विरुद्ध आवाज बुलंद करती है पोल खोल  कर भ्रष्टाचार की हर जड़ों की गहराइयों तक पहुंच कर हमेशा सत्य तथ्यों को पहुंचाने के लिए तैयार रहती है।

Comments

  1. इस न्यूज़ को कैसे लगा दिया भाई आपने यह न्यूज़ किया आपने लिखी थी यह न्यूज़ मेरी लिखी हुई है जब लेखक को सम्मान नहीं दे सकते तो न्यूज़ लगाने का अधिकार भी नहीं है

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