विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति ने प्राचीन पक्का तालाब के संरक्षण संवर्धन के लिए लिखा खून से खत

 विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर  बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति ने प्राचीन पक्का तालाब के संरक्षण संवर्धन के लिए लिखा खून से खत




पक्का तालाब खागा नगर की पहचान है , हम इसे बचा कर रहेंगे - इं प्रवीण पाण्डेय 




खागा - फतेहपुर 

पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को 21 बार खून से खत लिख चुके बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति  के 

केन्द्रीय अध्यक्ष ई. प्रवीण पांडेय ने बताया कि समिति विगत कई वर्षों से प्राचीन पक्का तालाब के पुनरुद्धार के लिए प्रयास कर रही है l पक्का तालाब के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी , केन्द्रीय मंत्री सांसद फतेहपुर साध्वी निरंजन ज्योति , जिलाधिकारी , उपजिलाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की गई है लेकिन पक्का तालाब  पर अब तक कोई कार्य दिख नहीं रहा है l

आज समिति के स्वयंसेवको ने   खून से खत लिखकर पक्का तालाब के संरक्षण संवर्धन की l  आजादी के पूर्व , मिर्ज़ापुर  के एक व्यापारी ने पक्का तालाब बनवाया था , आजादी के 75वर्ष , हो रहे और  पक्का तालाब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। करीब छह बीघा क्षेत्रफल वाले पक्का तालाब के नाम पर बस्ती तो आबाद हो गई। लेकिन ऐतिहासिक तालाब की बदहाली दूर करने का प्रयास नहीं हो सका।

 पक्का  तालाब बड़ी-बड़ी घास के बीच खो गया है।   तालाब डेढ़ सौ साल से अधिक पुराना है। इसका जब निर्माण हुआ था, तक चारों ओर बिल्कुल खाली मैदान था। तालाब का पानी स्वच्छ रहने से खरीदारी के लिए बाजार आने वाले लोग उसका सेवन करने से गुरेज नहीं करते थे। चारों तरफ पेड़-पौधे होने की वजह से पथिक यहां पर घंटों रुककर सुस्ताते थे। चारों ओर तालाब में नीचे उतरने के लिए पक्की सीढि़यां, स्नानागार तथा महिलाओं के लिए कपड़े बदलने का एक कमरा बनवाया गया था। अतिक्रमण की वजह से तालाब का दायरा बेहद सिकुड़ चुका है। बाउंड्री की वजह से पक्का तालाब में कब्जा करना मुश्किल है। बाउंड्री के ऊपर तक मकान जरूर बना दिए गए हैं।

 देव व्रत त्रिपाठी ने कहा कि  तालाब का संरक्षण बेहद जरूरी है। पक्का तालाब हमारे नगर की पहचान था। इसे संरक्षित करने की जरूरत है, उपेक्षा के चलते प्राचीन विरासत को संजोया नहीं जा सका है। 

डाल चन्द्र ने कहा कि बुंदेलखंड राष्ट्र समिति अपने जल जंगल जमीन के संरक्षण संवर्धन के लिए संघर्ष करती रहेगी l अजय गुप्ता ने कहा कि 

पक्का तालाब को पुराना स्वरूप दिलाने के प्रयास जारी है आगे भी जारी रहेगा l खून से खत लिखने में मुख्य रूप से प्रवीण पांडेय , देव त्रिपाठी , डाल चन्द्र , अजय गुप्ता ,राजकुमार गुप्ता, रोहित कुमार , शुभम , असर्फी , अंकेश , प्रांशु , विपिन आदि रहे l

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