शीर्षक -बेफ़िक्री

 शीर्षक -बेफ़िक्री 


क्या सोचे हम उनके बारे में, 

जिनकी सोच ही बहुत छोटी है, 

बाहर देखो निकलकर दुनिया के,

प्रकृति का कण-कण 

हमें जीने की राह दिखाती है।। 

कोरा कागज नहीं यह सपने है मेरे, 

के जो बहुत ऊंचा उड़ना चाहते हैं, 

जो ऊंचे इरादे रखते हैं, 

हां पंछी से ऊंची उड़ान भरते हैं। 

कदम रख कर तो देखो 

तुम्हारा विश्वास ही हौसला बनेगी, 

राह पर चलकर चलकर तो देखो , 

मंजिल खुद ब खुद मिलेगी।। 

सोच से ज्यादा कदम बढ़ाओ, 

देखो सारा जहां तुम्हारा है, 

मिट्टी की खुशबू को तो पहचानो,

 उम्मीदों की खनक सुनाई देगी।। 

जो नहीं देती साथ हमारा, 

क्या पता उनको हमारी ताकत क्या है?

 अंगारों पर चलकर पहुंचे हम यहां,

 वक्त की जंजीरों ने बांधा था, 

समय के चक्रव्यूह में फंसकर भी, 

यह दिल हौसला ना कभी हारा था।।

क्या सोचूं उनके बारे में, 

जिनको नहीं परवाह हमारे बारे में।। 


डॉ जानकी झा

अध्यापिका, कवयित्री

कटक,ओडिशा

9438477979

Comments

Popular posts from this blog

स्योहारा।आज ग्राम चंचल पुर में उस समय चीख पुकार मच गई जब बारातियों को ले जा रही एक स्कार्पियो कार की यहां एक खंबे से टक्कर हो गई और कार के परखच्चे उड़ गए।

मालगाड़ी की चपेट में आकर हुई युवक की दर्दनाक मौत