कहाँ है?*
*कहाँ है?*
फ़िरते भक्ति का ढोंग रचाके
टीका चन्दन मस्तक लगाके
प्रभू पूजा का प्रपंच सजाके
रे ढूंढ जरा भगवान कहाँ है?
सावन माह भोले को रिझाया
घृत दूध दही से खूब नहलाया
गौवंश आज लाचार है पाया
रे प्रस्तर नन्दी में जान कहाँ है?
होड़ा हिचकी है दान धर्म की
बिसरा बैठे हैं सीख कर्म की
त्यागी चिंता स्वजन मर्म की
रे मानुस तेरा ईमान कहाँ है?
जो भूल गए करनी का फेरा
है चंहु ओर लालच का डेरा
धर कुटिल भाव ये तेरा-मेरा
रे सोच तेरा सम्मान कहाँ है?
वो अपनापन एक घर आँगन
माटी का बना शीतल छाजन
मुरझा सा गया अब अंर्तमन
रे बोल यहां इंसान कहाँ है?
मेरी क़लम✍🏻
अनामिका चौकसे(अनु)
जिला-नरसिंहपुर मप्र।
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