एक नज़्म
एक नज़्म
जिंदगी के कुछ उल्टे सीधे ढ़ंग दिखाते हैं
आज हमें अपने भी अपने रंग दिखाते हैं!!
अपने दामन में दर्द लिए बैठा हूं आजकल
उनसे क्या कहूं जो झोली तंग दिखाते हैं!!
रंगीन दुनिया में बसर करने वाले अक्सर
तरीका जीने का ज़माने को बेढ़ंग दिखाते हैं !!
अपनी तम्मन्नाओं का हम इजहार नहीं करते
लफ्ज़ों को समेटकर दिल के जंग दिखाते हैं!!
सीख रहें हैं अपनी बात को सलीके से कहना,
इसलिए इश्क और दर्द संग_ संग दिखाते हैं!!
अभिषेक मिश्रा
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