शीर्षक-जीवन की राह

 शीर्षक-जीवन की राह



कुछ गलत ये फैसले,

जीवन की राह बन जाते है।

कण्टक चुभते हृदय मे,

बस इक आह बन जाते है।

जीवन के इस पथ पे,

साथ तुझे जो चलना था।

राहों मे जो शूल थे,

उनको तुमने ही हरना था।

कांटे जो तूने बो दिये,

दिले कराह बन जाते हैं।

कुछ गलत ये फैसले,

जीवन की राह बन जाते है।

अन्तविहीन पथ पे चलके,

इक दिन तुझे थकना ही था।

अंगारो की सेज चुनी,

इक दिन तुझे जलना ही था।

अपने हृदय मे घाव दे गर,

गैर ही चाह बन जाते है।

कुछ गलत ये फैसले,

जीवन की राह बन जाते है।


चारु मितल,मथुरा-उ०प्र०,

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