कविता ॥ ढोंगी ॥
कविता ॥ ढोंगी ॥
रचना - उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
9546115088
मूरख ज्ञानी बन बैठा है
बाँट रहा है उपदेश
खुद को सुधार नहीं पाया अब तक
जग को देता संदेश
भेड़़िया पहन सामाजिक चोला
खड़ा समाज के बीच
प्रकृति अपनी बदल ना पाया
बन बैठा सुधारक का प्रतीक
भाषण देता मयखाने में शराबी
मदिरालय का करो बहिष्कार
खुद मयखाने जाकर है पाता
लालपरी का प्यार
दहेज लोभी आह्वान करता है
दहेज विरूद्ध अभियान
खुद को लाख टके में बेचा
चेहरे अब इनकी पहचान
चला जुआरी समाज सुधारने
डाल चेहरे पे नकाब
खुद का मुँह काला कर घूमता है
कैसे करुँ इनपर विश्वास
उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
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