शीर्षक-विरही
शीर्षक-विरही
जिसके घुंघरू की छन छन से,
मधुर सुकोमल धुन बजती हो।
अकस्मात पायल छिन जाए,
उस जिरही पर क्या बीतेगी?
देख आरती! सुरपूजन की,
भक्त यदा मंदिर तल पहुंचे।
बन्द कपाट तभी हो जाएं,
उस गिरही पर क्या बीतेगी?
विरह वेदना का सप्तक जब,
राग बनाये करुण ललित सा।
शहनाई धुन समय बजाए,
उस तुरही पर क्या बीतेगी?
मेंहदी लगे हाथ कलिका के,
चूम रहा हो कोई भंवरा।
हल्दी जिसका नाम छिपाए,
उस *विरही* पर क्या बीतेगी?
पंकज त्रिपाठी कौंतेय
हरदोई (उ प्र)
9452444081
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