कविता ॥रूत बदल ना जाये ॥

 कविता ॥रूत बदल ना जाये ॥


रचना- उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार


तुम्हें मनाने की हसरत में

ये रूत कहीं बदल ना जाये

मेरी मोहब्बत तेरी जिद में

हँसीन जिन्दगानी गुजर ना जाये


तुम्हें मनाने की हसरत में

ये जवानी उतर ना जाये

तुम्हें पाने की चाहत में

पात्र उपहास का बन ना जाये


तुम्हें मनाने की हसरत में

तन्हाई में रात गुजर ना जाये

तेरी हाँ और तेरी ना में

मस्ती भरी आलम बिछुड़ ना जाये


तुम्हें मनाने की हसरत में

तेरी अल्हड़पन नजर है आये

ख्वाबों में जब रोज आती हो

हकीकत में अब क्यों छुप जाये


तुम्हें मनाने की हसरत में

खुशी हमारी रूठ चली ना जाये

आओ पल दो पल साथ जियें हम

तन्हाँ जीवन कहीं गुजर ना जाये 


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088

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