शीर्षक-क्या कहूँ क्या-क्या लिखा है

 शीर्षक-क्या कहूँ क्या-क्या लिखा है



सृजन की बेला से लेकर,

ध्वंस का विवरण लिखा है।

दुनिया संग उल्लासमय तो, 

स्वजनों संग रण लिखा है।

वीर की विजय पताका लिख,

माटी का ऋण लिखा है।

लिख दिया जो हिय ने बोला,

स्मृति का हर क्षण लिखा है।

क्या कहूँ क्या क्या लिखा है?

कर्णप्रिय कुंजन का कलरव, 

कटु कुंठित क्लेश लिखा है।

अमृत बरसता नेह कहीं, 

मलिन परिवेश लिखा है।

सत्यपथ का अनुसरण और, 

जय का संदेश लिखा है।

लिख दिया है सच का दर्पण, 

उर पला द्वेष लिखा है।

क्या कहूँ क्या क्या लिखा है?

गृह गुंजित किलकारियों से,

अल्हड़ बचपन लिखा है।

अंकुर से तरू बनता हुआ, 

उजला यौवन लिखा है।

हर्षित हिय मिल मीत से जब,

शोक का रुदन लिखा है।

लिख दिया है श्रृंगार सोहल,

चाँदनी चंदन लिखा है।

क्या कहूँ क्या क्या लिखा है?

स्याह रातों में सिसक रहा, 

अश्रु संग संवाद लिखा है।

प्रेम पीड़ा छल कपट लोभ, 

सारा विवाद लिखा है।

संसार सार समझ सृजन का,

आज अनुवाद लिखा है।

लिख दिया गर मन का जग में,

कहें अपवाद लिखा है।

क्या कहूँ क्या क्या लिखा है?

हाँ मैं सखी क़लम की सदा, 

सखी संग भाग्य लिखा है।

सुपथ चलूं इतिहास गढ़ दूँ, 

बिखर कर दाग लिखा है।

लिखती रही मिट-मिट स्याही,

ना जाने क्या लिखा है।

लिख दिया सब जो था कहना,

बोलो क्या क्या लिखा है।

क्या कहूँ क्या क्या लिखा है?


अनामिका चौकसे 'अनु'

नरसिंहपुर-मध्य प्रदेश 

दूरभाष-91659 35434

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