शीर्षक-अनोखा लॉक डाउन

 शीर्षक-अनोखा लॉक डाउन



चलो एक अनोखा लॉक डाउन,

हमेशा के लिए लगाते हैं।

दो- चार लोग लेकर ही,

बारात चढ़ाते हैं।

रस्मों के नाम पर,

धन दौलत न लेते हैं।

एक नारियल से ही चलो,

शगुन कर लेते हैं।

छप्पन तरह के न व्यंजन,

शादी में बनवाते हैं।

सादे खाने और मीठे से,

ही काम चलाते हैं।

छोटे- बड़े का भेदभाव,

मन से मिटाते हैं।

बहु को भी बेटी सा,

सम्मान दिलाते हैं।

नई शुरुआत अपने,

घर से ही चलाते हैं।

अनोखा लॉक डाउन,

हमेशा के लिए लगते हैं।


रचना- शहनाज़ बानो,स०अ०

उच्च प्राथमिक वि-भौंरी

चित्रकूट,उ० प्र०

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