आओ हम अब लौट चले प्रकृति की गोद में
आओ हम अब लौट चले
प्रकृति की गोद में
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है
प्रकृति की गोद में ।।
पावन पुनीत हवा है बहती
तन मन को ताजा करती ।
अँखिया देखे प्रकृति को,
मन की कलियाँ मुस्काती
कही नदी झरने बहते
ओर पर्वत की चोटी लहराती ।
कहे हिम शिखाये बहती
यूँ ही जीवन चलता जाये ।
मई जून की गर्म हवाये
प्राकृति की याद दिलाये ।
ठहरो मानव मत करो खिलवाड़
सुंदर करो यही विचार
प्रकृति का रूप निराला
मानव का आक्सीजन निवाला
कोई टैक्स नहीं
कोई मोल नहीं
प्रकृति का अनुपम उपहार
समझाया महामारी ने
हाँ कोरोना बीमारी ने
प्राण वायु के बड़े भाव
प्रकृति का चढ़ाओ चाव
सुंदर स्वच्छ रखना
अगर जीवित रहना ।।
अमित कुमार बिजनौरी
स्योहारा बिजनौर
उत्तर प्रदेश
भारत
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