कविता ॥ दहेज की बलिबेदी ॥

 कविता ॥ दहेज की बलिबेदी ॥


रचना _ उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088


कब तक दहेज की बलिबेदी पर

कुर्बान होती रहेगी बेटियाँ

कब तक चुप चाप प्रताड़ना की आँसू

घुट घुट कर पीती रहेगी बेटियाँ


कब तक कुव्यवस्था की शोर में

तमाशा बन रोती रहेगी बेटियाँ

कब तक दहेज के नाम पर

जलती रहेगी बेटियाँ


कब तक ससुराल के अत्याचार से

दो चार होती रहेगी बेटियाँ

कब तक दहेज की अन्याय को

अपने गले लगाती रहेगी बेटियाँ


कब तक सोने चाँदी से 

तौलवाती रहेगी बेटियाँ

कब तक समाज के दरिन्दे से

जुल्म सहती रहेगी बेटियाँ


कब तक सास ननद की

फब्तियाँ सुनती रहेगी बेटियाँ

कब तक अपने प्रीतम से

प्रताड़ना सहती रहेगी बेटियाँ


कब तक इस कुव्यवस्था को

मूक बन झेलती रहेगी बेटियाँ

कब तक दहेज लोभीयों से

शिकार होती रहेगी बेटियाँ


कब तलक दहेज की ज्वाला में

घर को जलती देखती रहेगी बेटियाँ

कब तक दुल्हे की इस बाजार में

लुटती रहेगी बेटियाँ


कब तक घरेलू हिंसा से

रूबरू होती रहेगी बेटियाँ

कब तक ससुराल के ऑगन से

अर्थी सजवाती रहेगी बेटियाँ


कब तक दहेज के दानव से

अपने को समाप्त कराती रहेगी बेटियाँ

कब तक मूक दर्शक बन समाज

बर्बाद होते देखती रहेगी अपनी बेटियाँ।


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088

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