..... जीवन रुपी खेत की,कर लो खूब रोपाई। सासों के व्यापार पे,यूं सास करे भरपाई। महाकाल के कुंभ मे,करें सुनिश्चित जीत। मुखवंदन मंजुल करें,दूरी निभा सब रीत।
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जीवन रुपी खेत की,कर लो खूब रोपाई।
सासों के व्यापार पे,यूं सास करे भरपाई।
महाकाल के कुंभ मे,करें सुनिश्चित जीत।
मुखवंदन मंजुल करें,दूरी निभा सब रीत।
जितेन्द्र मोहन शर्मा
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ReplyDeleteशब्दों के सब योगदान, कितना दे आनंद।
अखियां अगुंल नाचकर, सजते परंमानंद।