कविता ॥ प्रीत का दर्द ॥

 कविता ॥ प्रीत का दर्द ॥


रचना = उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088


मेरे गीत में है मेरे प्रीत का दर्द

मेरे दर्द में छुपा है मेरे प्रीत का अर्ज

यह गीत दिलवर को पहुँचा देना

मेरी फरियाद बेवफा तक भिजवा देना


गले लगा लेने की थी कभी हमे तमन्ना

बाहों में घर बसा लेने की थी एक सपना

सब कुछ लुटा कर होश में ना आऊँ मैं यारों

मयकदे की कोई रास्ता बता दे प्यारो


कोई मयखाने तक मुझको पहुँचा देना

मयकशी से मुझे दोस्ती कोई करा देना

शाकी भर भर कर हमें जाम पिला देना

मेरे बहकते कदम की पयाम उनको पहुंचा देना


जब पीकर मैं निहाल हो जाऊँगा

मेरे बेवफा को बात समझ आ जायेगा

तेरे प्यार में लुट गया है मैं आज

मेरे रकीब को भी पता है ये सब राज


फिर अंगूर की बेटी से रिश्ता करा देना

शाकी तुँ हम पे इतना रहम करना

पीकर अपने गम को भुला जाऊँगा

दुनियाँ में कभी मोहब्बत ना कर पाऊँगा



जीने से अब नफरत हो गई है हमको

पीने की हसरत अब सोने में जग गई है मुझको

जब तक ये जग होगा प्यार ना करना

किसी बेवफा से भूल कर दिल ना लगाना


मेरी वरबादी की मंजर देखने वाले

मेरे बर्बादी पे तुँ भी कभी पछताये

बेवफाई का खंजर जो तुँने चुभोया है

तुँ भी मेरे ही तरह घुट घुट कर रोयेगा


जीने की तमन्ना लुट गई है दिल में

मरने की सपना पल रही है सीने में

कोई मेरे शव पे कफन ओढ़ा देना

शमशान की रास्ता कोई हमें बता देना


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088

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