जरूरत

 जरूरत


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सदियों से हमारे संतो 

ऋषियों मुनियों महापुरुषों ने

हमें सीख ही दिये,

हमें मानवता, सदाचार, सदव्यवहार

भाईचारा, एकता, अनुशासन

परहित का पाठ पढ़ाये,

पर कितने हैं जो इन बातों को

जीवन में उतार पाये।

सुनने, पढ़ने में तो हम

जैसे बहुत कुछ जान पाये

पर जीवन में उतारने में

सदा ही खुद को पीछे ही पाये।

आज इस कठिन दौर में भी

हम जैसे अड़े हुए हैं,

समय,हालात सब समझते हैं

फिर भी अपनी आदतों से

जैसे जकड़े हुए हैं।

अब आज हमारी महती जरूरत है,

हमें अपने गुरुओं, संतो

महापुरुषों की शिक्षाओं पर

अमल की जरूरत है।

इस संकट के दौर में

सद्कर्म, सद्भाव, सर्वहित पर

सबको लगने की जरूरत है।

संकट बड़ा है लेकिन

मिट जायेगा,

संसार भर में मनुष्यता का

नया वातावरण बन जायेगा ।

◆ सुधीर श्रीवास्तव

       गोण्डा, उ.प्र.

     8115285921

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