लेख आओ अस्पताल बनाएँ

 लेख

आओ अस्पताल बनाएँ


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आज की इस वैश्विक विपदा की घड़ी में लोगों की तुरंत चिकित्सा और सेवा-श्रुषा करना सबसे पहली प्राथमिकता है। यह समस्त मानव जाति के लिए अत्यंत ही संकट की घड़ी है और एक साथ सभी के समक्ष जीवन-मरण का यक्ष प्रश्न आकर खड़ा हो गया है। जिससे निजात पाने का कारगर और अचूक उपाय यही है कि हमारे आस-पास अधिक संख्या में हर यथा संभव सुविधाओं से भरपूर 

चिकित्सालय और चिकित्सक हो। ऐसी विपत्ति में एकमात्र अस्पताल ही ऐसा स्थान है,जहां कुछ राहत मिलने की आशा है। अब जबकि एकसाथ पूरी की पूरी संतति ही जीवन-मरण के इर्द-गिर्द घिर गयी है,ऐसे में हमारे पास अस्पतालों की जो भी, जितनी भी और जैसी भी व्यवस्था है वो सब नगण्य ही साबित हो रहीं हैं। अत: हमें वर्तमान की विभिषिका से बचने के लिए शीघ्रता से शीघ्र और अस्पतालों की व्यवस्था और निर्माण करने की युद्ध स्तरीय कवायद करनी होगी।

इस मानवीय/सामाजिक कार्य में एक एक इंसान, समाज के हर वर्ग से जुड़े लोग, स्वयंसेवी संस्थाएं, संगठन, समाजसेवी, उद्योग क्षेत्रों ,राजनीतिक दलों, और समाज सेवा का दँभ भरने वाले/वाली सभी लोग/संगठन आदि सबको स्वहितों को ध्यान में रखकर अविलम्ब आगे आकर युद्ध स्तर पर काम शुरु कर देना चाहिए।

सबकुछ सरकार के भरोसे पर नहीं हो सकता।दोषारोपण के बजाय अपनी मानवीय/सामाजिक जिम्मेदारी समझें,आगे बढ़ें और खुद को सुरक्षित करने भर की चिंता कर अपने हिस्से की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें, जिससे आने वाले समय में पूरी दुनिया का जीवन सुरक्षित ,सुखमय और अनिश्चितता मुक्त हो सके। हम सभी को कमर कस कर इस पवित्र कार्य में लगना है। लोगों को भी जुड़ने के लिए प्रेरित करना है।

यदि सरकार एक छोटा सा कदम भर उठा ले तो शिक्षा और स्वास्थ्य 

की बड़ी समस्या हल हो सकती है। सरकार एक अपील कुछ सुविधाओं संग आम लोगों से करे, कि जो लोग जितना सहयोग करेंगे उतने का नामकरण उनके या उनके परिजनों के नाम पर होगा।

यथा किसी ने गांव में अस्पताल/स्कूल बनवाता है या उसके लिए जमीन उपकरण/अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए /अथवा मुख्य द्वार/कक्ष आदि, आदि। 

इससे शीघ्रता से हम सुदूर अंचलों में भी कम से कम प्राथमिक सुविधा उपलब्ध करा सकेंगे और लोगों का भरोसा भी जगा सकेंगे, साथ ही आज की जैसी स्थिति में शीध्रता से कदम उठाकर हालात को बेहतर और विश्वास से नियंत्रित कर जन मानस में अधिक भरोसा कायम कर सकते हैं।

जिम्मेदार मनुष्य और जिम्मेदार लेखक होने के नाते हम सभी को भी आगे आना चाहिए। एकता में बहुत बल है। हम सभी मिलकर इस काम को करेंगे तो निश्चित ही हर गाँव हर शहर में अच्छी सुविधा से सिर्फ अस्पताल ही नहीं स्कूल भी लैस होंगे। जिससॆ रोजगार के अवसर स्वतः ही बढ़ जायेंगे।

उक्त विषय पर कलमकारों, कलाकारों, चित्रकारों का दायित्व अधिक कि वे अपनी नैतिक/सामाजिक/मानवीय जिम्मेदारियों को महसूस करते हुए अपने अपने विचार साझा करें,अपनी लेखनी/कला/चित्रों द्वारा कुछ अलग, अच्छा , सार्थक और सकारात्मक तथा सर्वोपयोगी उपाय भी रेखांकित करें,जिसके अनुपालन से सभी के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और अनिश्चितता के काले बादल छँट सकें।जिससे मानव अपने अस्तित्व को लेकर हर समय उहापोह के भँवर से मुक्त रहे।

आज वो अवसर आ गया है,जब हमारे संवेदनशीलता की परीक्षा है और हमें इसमें अव्वल ही रहना है।साथ ही अपने अपने यथासंभव सहयोग/कार्य में  जुट जाना होगा। अन्यथा हो सकता है कि आगे वो समय आ जाये जब हम सबको सँभलने तक का मौका भी न मिले और हम आरोप लगाने और अपनी बेबसी पर माथा पीटने के सिवा कुछ भी न कर सकें।

स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।अपने मानवीय गुणों का विस्तार कीजिए।

सकारात्मक्ता फैलाएं, खुशहाली बिखेरें ।

हँसते मुस्कुराते जीवन बिताइए।

शुभकामनाओं सहित

🌷सुधीर श्रीवास्तव🌹

        गोण्डा, उ.प्र.

     8115285921

©मौलिक, स्वरचित

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