कविता ॥ राष्ट्रवाद की नशा ॥
कविता ॥ राष्ट्रवाद की नशा ॥
रचना _ उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
9546115088
नशा लगी है राष्ट्रवाद की
अब ये नशा सरे आम होगा
राष्ट्र के नाम पे मर मिट जाऊँ
ये तन अब राष्ट्र के नाम होगा
नशा लगी है अखंड भारत की
जंग ए एलान अब होगा
पी ओ के हमारा है
इस पर जंग पाक से होगा
नशा लगी है बेनकाब करने की
अब सारे गद्दार बेनकाब होगा
देश को बदनाम करने वालों की
इतिहास में नाम बदनाम होगा
नशा लगी है आंतक मिटाने की
हर गोली पर आतंकी का नाम होगा
पत्थरबाज भी ना अब बचेगें
उनके लिये यही पयाम होगा
नशा लगी है नफरत मिटाने की
नफरत की दीवार चकनाचूर होगा
दुश्मन की सीने पर दस दस गोली
हर गोली पर दुश्मन का नाम होगा
नशा लगी है विश्वगुरू बनने की
हर भारतीय शांति दूत होगा
दुश्मनी को दोस्ती में तबदील करने में
सबसे आगे हिन्दुस्तान ही होगा।
उदय किशोर साह
मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार
Comments
Post a Comment