हमारे आदर्श राष्ट्रीयकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की 47 वीं पूर्णथिति पर शत शत नमन।

 हमारे आदर्श राष्ट्रीयकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की 47 वीं पूर्णथिति पर शत शत नमन।


अपनी छोटी सी कविता उनके चरणों मे समर्पित है


शीर्षक-हे दिनकर जागो !


हे रवि पुत्र बेगू के दिनकर जागो

ये कलम पुकार रही तुम जागो

छा गया द्वन्द हर तरफ ये कैसा,

हे छायावादी के वीर तुम जागो ।1।


अब फिर से कोई हुंकार लिख दो 

कलम को फिर से नई धार दे दो

साहित्य की कलम न डगमगाए,

ओज भरी वाणी को हुंकार दे दो ।2।


कभी, भी न किया सौदा कलम का

रहा हमेशा ओधा अपनी कलम का

लड़कड़ाये न कभी सत्य की राह से,

जोर था हांथों में साहित्य की कलम का ।3।


चले थे कोसों मील न कभी तुम थके थे

सत्य पथ पे चलते रहे न कभी रुके थे

बेगू से दिल्ली तक रच डाला इतिहास,

तुम सिलमारिया को कभी न भूल सके थे ।4।


सिंघासन खाली करो कि जनता आती है

अब यह कविता कहाँ,कहीं दोहराई जाती है

अब कुरुक्षेत्र में भी उद्देश्य नही कोई देता है

विजय संदेश की गूँज कहाँ सुनाई जाती है ।5।


परशुराम की प्रतीक्षा में नैन टिकाए बैठें हैं

रश्मिरथी खण्डकाव्य को सब भुलाए बैठें हैं

अब फैला हुआ है,घमासान युद्ध हर तरफ,

अब दुर्योधन के अंत की आस लगाए बैठे हैं।6।


पूरब में जन्म लिया ,दक्षिण में अंत किया

अंतिम क्षण तक कृष्ण का गुणगान किया

कलम से साहित्य की खुशबू को बिखेर गए,

अपनी मुखवाणी से स्वरों का पर्चम लहरा गए।7।


बेगू=बेगूसराय उनके जनपद को दर्शाता है


रचनाकार-कवि अरुण चक्रवर्ती 

गुरसहायगंज कन्नौज

मो.9795718204

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