बुद्ध के रंग में रंगें हम /

 बुद्ध के रंग में रंगें हम /



अकुशल द्वेष ईर्ष्या घृणा गर्व है गोली

त्याग चतुष्टय-दोष, बोलो मीठी बोली

बुद्ध वचन से भरे, तुम्हारी ज्ञान-झोली

संग रंगमंच पर झूमी-झूमी नाचे टोली

भक्तिरस में भींगी, करें हँसी-ठिठोली

उमंग-तरंग और रंगों का पर्व है होली।


©गोलेन्द्र पटेल 

छात्र , काशी हिंदू विश्वविद्यालय , वाराणसी।

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