रिश्ते को निभाना है
रिश्ते को निभाना है
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रिश्ता ही जीवन का सार है,
रिश्ता ही तो जगताधार है ।
रिश्ता नहीं है जीवन में तो,
समझें जीवन निराधार है ।
जीवन का उत्कर्ष बड़ा है ,
जीवन रिश्ता पर ही खड़ा है ।
कहते सभी अनेकों बातें ,
पर यह रिश्ता सबसे बड़ा है ।
होली की यह मधुमय टोली,
निकली गाते रसमय होली ।
अंतस का मन -मैल भुलाकर,
फिर करते हैं सभी ठिठोली ।
इस पर्व के पावन गौरव को,
मिलजुल कर हमें बचाना है ।
रक्षा कर अपनी संस्कृति को,
हरपल रिश्ते को निभाना है ।
होलिकोत्सव की अनंत शुभकामना के साथ आपको मेरी यह रचना सादर, सस्नेह भेंट ।
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