कोरोना काल में बढ़ी तुलसी के पौधों की डिमांड

 *कोरोना काल में बढ़ी तुलसी के पौधों की डिमांड


                                                             आकाश कर्णवाल चांदपुर:-* कोरोना कॉल में बीमारियों से बचाव के लिए लोग पुराने नुस्खों को अपना रहे हैं। संक्रमण से बचाव में इलाज के साथ पुराने नुस्खे कारगार साबित हो रहे हैं। इसमें से एक नुस्खा काढ़ा भी है। चिकित्सक भी इसे पीने की सलाह दे रहे हैं। इसके लिये तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जा रहा है। नतीजा यह कि तुलसी के पौधों की डिमांड इस समय बढ़ गई है।

कोविड-19 से बचाव के लिये लोग तरह-तरह के इंतजाम कर रहे हैं। इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने के साथ ही लोग बचाव के अन्य तरीकों को अपना रहे हैं। इस समय अधिकांश घरों में चाय की जगह काढ़ा का प्रयोग किया जा रहा है। यह काढ़ा तुलसी के पौधों से बनाया जा रहा है। गांव-देहात में तकरीबन हर जगह तुलसी का पौधा आसानी से उपलब्ध हो जा रहा है, लेकिन शहरी क्षेत्र में इस पौधे को खरीदकर लगाया जा रहा है। वैसे तो अक्सर सभी घरों में तुलसी का पौधा लगा होता है। घर में सुख-शांति और धन-समृद्धि के लिए महिलाएं तुलसी की पूजा करती हैं। कोरोना काल में तुलसी के पौधे की डिमांड बढ़ गयी है।

शहर के चांदपुर कोतवाली के निकट पर स्थित नर्सरी के संचालक का कहना है अप्रैल से मई माह तक करीब दो हजार से अधिक तुलसी के पौधों की बिक्री हो चुकी है। वर्तमान समय में भी तुलसी के पौधे की डिमांड है तथा हर रोज दो-चार पौधों की बिक्री हो रही है। कहा कि एक पौधे की कीमत 20 से शुरुआत की गई है।  कोरोना से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए काढ़ा काफी असरदायक सद्धि हो रहा है। काढ़े को बनाने के लिए तुलसी के पत्तों की सबसे अधिक जरूरत होती हैं, लेकिन हर घर में तुलसी का पौधा नहीं है इसीलिए लोग नर्सरियों से तुलसी का पौधा खरीदकर उसे अपने घरों में लगा रहे हैं। इसके साथ लोग लौंग तुलसी और सौंप तुलसी की भी मांग कर रहे हैं।

घरों में ऐसे तैयार हो रहा काढ़ा

कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिये तुलसी का काढ़ा काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है। लोगों की मानें तो काढ़े में तुलसी के पत्ते, छोटी पीपल, सोंठ, काली मिर्च व दालचीनी मिलाई जाती है। यह बुखार, खांसी, जुकाम होने पर भी फायदा करता है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के लिए भी लोग काढ़ा का प्रयोग कर रहे है।

तुलसी की होती हैं नौ प्रजातियां

देश में तुलसी की नौ प्रजाति होती है। जानकारों की मानें तो रामा तुलसी में जिस डंडी पर पत्ते आते हैं उसका रंग हरा होता है। जबकि श्यामा तुलसी में डंडी का रंग नीला रहता है। कई बार दोनों तुलसी के पत्ते हरे रंग के होते हैं। नर्सरी संचालकों का कहना है कि सभी के गुण एक से बढ़कर एक माने गए हैं। कोरोना काल में काढ़े के लिए रामा तुलसी ज्यादा असरकारक मानी जाती हैं।

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